नई दिल्ली: चुनाव आयोग (ECI) ने नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की समय-सीमा बढ़ा दी है। आयोग के सूत्रों के मुताबिक, मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
SIR के दूसरे चरण में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार, गोवा, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और लक्षद्वीप शामिल हैं। इनमें से पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार, लगभग 51 करोड़ मतदाताओं को शामिल करने वाली इस प्रक्रिया का उद्देश्य सभी पात्र मतदाताओं का पंजीकरण सुनिश्चित करना और अपात्र नामों को सूची से हटाना है।
ECI द्वारा जारी नवीनतम बुलेटिन के मुताबिक, 30 नवंबर तक कुल 50,79,36,071 गणना फॉर्म वितरित किए गए, जबकि 4 से 30 नवंबर के बीच डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 42,96,99,385 फॉर्म जमा हुए हैं। इन डिजिटल फॉर्मों में अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत या डुप्लिकेट पाए गए मतदाताओं से संबंधित विवरण शामिल हैं।
SIR के दूसरे चरण की समय-सीमा एक सप्ताह बढ़ाने पर चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि यह विस्तार इसलिए दिया गया है ताकि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने से पहले बूथ लेवल एजेंटों (BLA) के साथ अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और डुप्लिकेट मतदाताओं का पूरा विवरण साझा कर सकें।
एसआईआर प्रक्रिया में बीएलओ को जरूरी भूमिका
बीएलओ स्थानीय सरकारी या अर्ध-सरकारी कर्मचारी होते हैं, जो क्षेत्र के मतदाताओं से अच्छी तरह परिचित रहते हैं और अधिकतर उसी मतदान क्षेत्र के निवासी भी होते हैं। अपनी स्थानीय जानकारी और समझ का उपयोग करते हुए वे मतदाता सूची को अपडेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जमीनी स्तर पर चुनाव आयोग के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए बीएलओ अपने निर्धारित बूथ क्षेत्र से संबंधित सटीक फील्ड जानकारी जुटाते हैं और मतदाता सूची के संशोधन कार्य को व्यवस्थित तरीके से पूरा करते हैं।
वहीं, बूथ लेवल एजेंट (BLA) राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के तहत उनकी जिम्मेदारी होती है कि वे मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करें और किसी भी त्रुटि की पहचान कर उसे सुधारने में सहयोग दें।
हाल में चुनाव आयोग ने बीएलए की नियुक्ति से जुड़े नियमों में संशोधन किया है। नए प्रावधानों के अनुसार, यदि किसी राजनीतिक दल को किसी विशेष बूथ से बीएलए नियुक्त करने में कठिनाई आती है, तो अब वह उसी विधानसभा क्षेत्र के किसी अन्य बूथ के पंजीकृत मतदाता को इस भूमिका के लिए नामित कर सकता है। पहले यह अनिवार्य था कि बीएलए केवल उसी बूथ का मतदाता हो।
BLAs के साथ डेटा शेयर करने के लिए 7 दिन का समय दिया गया…
एसआईआर के दूसरे चरण में 5.32 लाख से अधिक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और 12.43 लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट (BLA) तैनात हैं। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया, “ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने से पहले BLO द्वारा अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और डुप्लिकेट मतदाताओं की जानकारी BLAs के साथ साझा करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया जा रहा है। यह पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हुए SIR अभ्यास के दौरान यह जानकारी मसौदा मतदाता सूची जारी होने से पहले या बाद में BLAs को दी गई थी, तो उन्होंने कहा, “यह जानकारी गिनती चरण के दौरान ही साझा कर दी गई थी और मसौदा सूची प्रकाशित होने से कुछ दिन पहले उपलब्ध करा दी गई थी।”
इस बीच, 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की समय-सीमा बढ़ाने के चुनाव आयोग के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए, लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने ईटीवी भारत से कहा, “मुझे नहीं पता कि उन्होंने समय-सीमा क्यों बढ़ाई है। बिहार में SIR के पहले चरण के दौरान तो कोई विस्तार नहीं किया गया था, लेकिन इस बार ऐसा किया जा रहा है। इसके पीछे कारण क्या है, यह किसी को स्पष्ट नहीं है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव से ठीक पहले SIR कराना उपयुक्त नहीं माना जाता। आचार्य ने कहा, “कुछ राज्यों—जैसे केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु—में आगामी महीनों में चुनाव होने हैं। ऐसे में SIR उसी समय किया जाना चाहिए जब चुनाव न हों, क्योंकि यह प्रक्रिया समय लेने वाली है। यहां सब कुछ बिना पर्याप्त योजना के किया जा रहा है।”
चुनाव आयोग द्वारा जारी संशोधित कार्यक्रम के अनुसार अब मसौदा मतदाता सूची 9 दिसंबर की जगह 16 दिसंबर को जारी की जाएगी। इसी तरह अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी के बजाय 14 फरवरी को प्रकाशित होगी।
