पटना: साल 2013 में, जब केंद्र में यूपीए सरकार थी, तभी ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले का खुलासा हुआ। आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान जमीन लेकर नौकरियाँ देने का बड़ा खेल हुआ था।
साल बदला और सरकार भी. इस मामले की जांच तेजी से बढ़ने लगी. सीबीआई और ईडी मामले में जांच करने लगी. लालू परिवार के 6 सदस्य लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव, मीसा भारती, हेमा यादव को आरोपी बनाया गया. इसके साथ ही कई लोगों को आरोपी बनाया गया जिसमें लालू यादव के ओएसडी रहे भोला यादव भी शामिल थे.
सीबीआई और ईडी ने पटना से लेकर गोपालगंज तक कई बार छापेमारी की। आरोपों की जांच के लिए सीबीआई ने 18 मई 2022 को मामला दर्ज किया। पूछताछ की लंबी प्रक्रिया के बाद, 7 अक्टूबर 2022 को एजेंसी ने जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू, राबड़ी, मीसा समेत 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। इसके दो साल बाद, 7 जून 2024 को सीबीआई ने अंतिम चार्जशीट दाखिल की, जिसमें कुल 78 लोगों को आरोपी बनाया गया। इनमें रेलवे में नौकरी पाने वाले 38 उम्मीदवार भी शामिल थे।

लैंड फॉर जॉब घोटाला क्या है?
आरोप है कि ग्रुप-डी पदों पर पहले उम्मीदवारों को सब्स्टीट्यूट के रूप में भर्ती किया गया और बाद में उनसे जमीन ट्रांसफर करवाने के बदले उनकी नौकरी को नियमित कर दिया गया। सीबीआई की जांच के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। ईडी की चार्जशीट में दावा किया गया है कि इस प्रक्रिया के जरिए लालू परिवार को सात अलग-अलग जगहों पर जमीनें मिलीं।
जांच में खुलासा हुआ कि बिना किसी विज्ञापन के जल्दबाजी में नियुक्तियां की गईं। मुंबई, जबलपुर, कोलकाता और जयपुर जोन में ये भर्तियाँ की गई थीं। आरोप है कि लगभग 1 लाख वर्गफुट से अधिक जमीन सिर्फ 26 लाख रुपये में खरीदी गई, जबकि उस समय उसकी वास्तविक कीमत करीब 4.39 करोड़ रुपये थी। मामले में लालू परिवार पर लगभग 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप भी लगाया गया।

किससे जमीन ली, किसे नौकरी दी? :
डील 1: 6 फरवरी 2008 में पटना निवासी किशुन देव राव ने अपनी 3,375 वर्ग फीट की जमीन राबड़ी देवी के नाम पर की थी. ये जमीन 3.75 लाख रुपये में बेची गई. उसी साल किशुन राव के परिवार के तीन सदस्यों को मुंबई में ग्रुप डी में भर्ती किया गया.
डील 2: पटना के ही निवासी संजय राय ने फरवरी, 2008 में 3,375 वर्ग फीट का प्लॉट राबड़ी देवी को बेचा था. डील 3.75 लाख रुपये में हुई थी. इसके बदले संजय राय के परिवार के दो सदस्यों को रेलवे में नौकरी दी गई.
डील 3: पटना निवासी किरण देवी ने नवंबर 2007 में अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा के नाम पर कर दी. डील 3.70 लाख रुपये में हुआ. उनके बेटे को मुंबई में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया.
डील 4: पटना निवासी हजारी राय ने फरवरी 2007 में 9,527 वर्ग फीट जमीन सस्ते में एके इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को बेची. बाद में हजारी राय के दो भतीजों को रेलवे में नौकरी मिली. साल 2014 में एके इन्फोसिस्टम की सारी संपत्तियां और अधिकार राबड़ी देवी और मीसा भारती के पास चला गया.
डील 5: मई 2015 में पटना निवासी लाल बाबू राय ने 1,360 वर्ग फीट की जमीन राबड़ी देवी को बेच दी थी. सीबीआई की जांच में पाया कि साल 2006 में लाल बाबू राय के बेटे लाल चंद कुमार को रेलवे में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया था.
डील 6: मार्च 2008 में बृज नंदन राय ने 3,375 वर्ग फीट जमीन गोपालगंज निवासी हृदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपये में बेचा. हृदयानंद चौधरी को 2005 में हाजीपुर में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया. हृदयानंद चौधरी ने बाद में ये जमीन तोहफे में लालू यादव की बेटी हेमा यादव के नाम पर कर दी. जिसकी कीमत 62 लाख आंकी गई थी.
डील 7: मार्च 2008 में विशुन देव राय ने अपनी 3,375 वर्ग फीट जमीन सिवान निवासी ललन चौधरी को बेचा. 2008 में ही ललन चौधरी के पोते पिंटू को पश्चिमी रेलवे में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया. इसके बाद फरवरी 2014 में ललन ने यह जमीन लालू यादव की बेटी हेमा यादव को दे दी.
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